पदक और रिबन के डिजाइन
इस पदक की शुरूआत 26 जून 1980 को की गई, यह पदक युद्ध/मुठभेड़/प्रतिकूल परिस्थितियों में उच्च कोटि की विद्गिाषट सेवा को सम्मानित करने के लिए प्रदान किया जाता है।
पदक: यह पदक गोलाकार होता है और इसका व्यास ३५ मिमी. है। यह सादी आड़ी पट्टी पर लगा होता है और इसकी फिटिंग स्टैंडर्ड होती है। यह सुनहरे रंग का होता है। इस पदक के सामने के हिस्से पर राज्य चिह्न बना होता है और अंग्रेजी में 'युद्ध सेवा मेडल' लिखा होता है। इसके पीछे की ओर पांच नोकों वाला सितारा बना होता है।
रिबन: इसका फीता सुनहरे रंग का होता है जिस पर लाल रंग की तीन सीधी रेखाएं होती हैं जो इसे चार बराबर हिस्सों में विभाजित करती हैं।
बार: यदि पदक विजेता को फिर से पदक पदान किया जाता है तो बहादुरी के इस कारनामे को सम्मानित करने के लिए पदक जिस फीते से लटका होता है, उसके साथ एक बार लगा दिया जाता है। यदि केवल फीता पहनना हो तो यह पदक जितनी बार प्रदान किया जाता है, उतनी बार के लिए फीते के साथ सरकार द्वारा अनुमोदित पैटर्न के अनुसार बनी इसकी लघु प्रतिकृति लगाई जाती है।
कार्मिक पात्र निम्नलिखित श्रेणियों के कार्मिक पदक प्राप्त करने के पात्र होंगे :-
पात्रता की शर्तें।यह पदक युद्ध/मुठभेड़/प्रतिकूल परिस्थितियों में असाधारण विद्गिाषट सेवा के लिए प्रदान किया जाता है। यह पदक मरणोपरांत भी प्रदान किया जाता है।