24 दिसम्बर 18 को 1040 बजे भारतीय वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान ने अल्प सूचना पर हेलिपैड से हताहतों को निकालने के लिए उधमपुर स्थित यूनिट “हॉवरिंग हॉक्स” के दो चीता हेलिकॉप्टरों को रवाना किया। प्राप्त प्रारंभिक सूचना के अनुसार बडगाम से कानपुर जा रही एक सिविल बस रामबन के निकट एक खाई में गिर गई जिसमें कई लोग गंभीर रूप से हताहत हो गए। 1045 बजे 02 हेलिकॉप्टर और कर्मीदल के 02 समूह उधमपुर से चंदरकोट जाने के लिए तैयार खड़े थे जहां प्रारंभिक तौर पर हताहतों को निकाला गया था। 1050 बजे एक हेलिकॉप्टर को उड़ने की अनुमति मिलने के बाद कप्तान विंग कमांडर वी मेहता और को-पायलट अरूणिमा विधाते उधमपुर से हवाई रास्ते से गए। इस बीच आवश्यकता का अनुमान लगाने के बाद, विंग कमांडर वी मेहता के बुलावे पर, उधमपुर से एक अन्य हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी जिसके कप्तान स्क्वाड्रन लीडर एस के प्रसाद और को-पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट सिद्धांत यादव थे।
चंदरकोट हेलिपैड पर पहला हेलिकॉप्टर 1125 बजे उतरा और भा ति सी पु के गंभीर रूप से घायल 03 जवानों को हेलिकॉप्टर में बैठाया जो दुर्भाग्यशाली बस में यात्रा कर रहे गंभीर रूप से घायल 09 लोगों में शामिल थे। दूसरा हेलिकॉप्टर 1225 बजे उतरा और गंभीर रूप से घायल शेष दो जवानों तथा एक चिकित्सा सहायक को निकाला गया। सिविल हेलिकॉप्टर द्वारा चार हताहतों को निकाला गया। मिशन के लीडर और अग्रणी वायुयान के कप्तान विंग कमांडर विशाल मेहता ने कहा, “हेलिपैड के पूर्वी दिशा की ओर पावर स्टेशन और अनेक माइक्रोवेव टावरों के कारण हेलिकॉप्टरों को सिविल हेलिकॉप्टरों के साथ सुनियोजित ट्रैफिक (यातायात) समन्वय के साथ एक ही दिशा से आना-जाना पड़ा। इसके अलावा, इस स्थान पर युक्ति से काम करने के लिए बहुत कम स्थान था।“
दोनों हेलिकॉप्टर जम्मू हवाई अड्डे की ओर गए जहां हताहतों को ले जाने के लिए एम्बुलेंस तैयार खड़ी थी। हताहतों को गंभीर चोटें लगीं थीं जिसमें चेहरे/सिर की चोटें, पैर में फ्रैक्चर और हाथ पर गंभीर चोट शामिल थीं। हालांकि, उन्हें दुर्घटना स्थल से रामबन डी एच पहुंचा दिया गया था, उनकी हालत अत्यधिक गंभीर थी और एक बेहतर चिकित्सा सुविधा तक तुरंत पहुंचाना ही एकमात्र उपलब्ध जीवन रक्षक उपाय था। हॉवरिंग हॉक्स के कर्मीदल ने मिशन को अत्यधिक व्यावसायिकता के साथ अंजाम दिया।