क्षेत्रीय बचाव समन्वय केन्द्र में पिंगडोंग ला के निकट एक वैयक्तिक बचाव संकेतक के चालू होने का एक सिगनल प्राप्त हुआ। सिगनल के कोडीकरण पर दो जर्मन नागरिकों के रिंगडुम से डिब्लिंग तक ट्रैकिंग करने का पता चला। इस सिगनल को तुरंत पश्चिमी वायु कमान के पास भेजा गया और लेह में स्थित सियाचीन पायनीयर हेलिकॉप्टर यूनिट की जांच का कार्य सौंपा गया। चूंकि शाम हो चुकी थी और क्षेत्र में मौसम उड़ान भरने के लिए अनुकूल नहीं था, इसलिए अगले दिन प्रातःकाल में उड़ान भरने का निर्णय लिया गया।
माइकल और उसकी पत्नी ऐनेट चढ़ाई कर रहे थे जब वे एक बर्फानी तूफान में फंस गए। दो दिन तक निरंतर हो रही बर्फबारी के कारण वे आगे नहीं बढ़ सके और दंपत्ति का भोजन भी समाप्त हो गया था। अंतिम उपाय के तौर पर माइकल ने अपनी वैयक्तिक बचाव संकेतक को चालू करने का निर्णय लिया।
सियाचीन पायनियर्स के दो हेलिकॉप्टर जिन्हें पायलट विंग कमांडर डे और विंग कमांडर प्रधान उड़ा रहे थे, ने 0600 बजे उड़ान भरी और पी आर बी की संभावित दिशा में आगे बढ़े। प्रारंभ में वे कुछ नहीं ढूंढ़ पाए। मिशन के लीडर और यूनिट के कमान अफसर विंग कमांडर डे ने कहा, “हम वहां वापस गए जहां से पैरों के निशान शुरू हुए थे और विपरीत दिशा में गए। थोड़ा आगे जाने पर हमें एक सलेटी रंग का उभरा हुआ स्थान मिला जो प्रारंभ में एक चट्टान के सिरे जैसा प्रतीत हुआ लेकिन समीप से जांच करने पर पाया कि उसके कोने हवा से हिल रहे थे। शीघ्र ही माइकल टेंट से बाहर आया, जिसे हमने चट्टान समझा था और हमारी और हाथ हिलाया”।
दूसरे हेलिकॉप्टर के कप्तान विंग कमांडर प्रधान ने कहा, “वह स्थल 35-45 डिग्री के कोण पर था और हम हेलिकॉप्टर को नहीं उतार सके। मैं एक निचले होवर पर गया और मेरा को-पायलट यह पता करने के लिए बाहर कूद गया कि ये वही लोग हैं जिनकी हम तलाश कर रहे थे और उनके स्वास्थ्य की जांच की। दोनों व्यक्ति चल पा रहे थे हालांकि उस भद्रपुरूष (जेंटलमैन) को शीतदंश हो गया था। मैंने महिला को उठाय़ा और विंग कमांडर डे को नीचे आने और भद्रपुरूष को उसी प्रकार उठाने के लिए कहा। दोनों को हेलिकॉप्टर में बिठाने के बाद हम वापस उड़कर सुरक्षित लेह पहुंच गए।“