भारत का 1950 में कोरिया संघर्ष के समय से ही संयुक्त राष्ट्र शांति मिशनों में अति महत्वपूर्ण शांति रक्षण अभ्यासों में भाग लेने का एक लंबा और उत्कृष्ट इतिहास रहा है। अगस्त 2000 से, भारत ने संयुक्त राष्ट्र के शांति प्रयासों के लिए 4238 सैनिकों और सिविलियन पुलिस के साथ विश्वभर में चलाए जा रहे विभिन्न संयुक्त राष्ट्र शांति ऑपरेशनों में भाग लेकर सर्वाधिक योगदान दिया। सबसे अधिक भारतीय शांतिदूतों की तैनाती अफ्रीका में सियरा लियोन में हुई
जहां 3000 से अधिक भारतीय सैनिक सियरा लियोन में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यू एन ए एम एस आई एल) का आधार स्तंभ थे। भारत की सियरा लियोन में कोई सामरिक रुचि नहीं थी। इस प्रकार इन भारतीय शांतिदूतों की मौजूदगी केवल अफ्रीका के साथ ऐतिहासिक संबंधों और महाद्वीप में शांति कायम रखने और विकास के उद्देश्य के साथ शुरू की गई किसी प्रक्रिया या शुरूआत को सहायता प्रदान करने की हमारी प्रतिबद्धता का ही एक प्रतिफल है।
सियरा लियोन में भारत की मौजूदगी में इन्फेन्ट्री ट्रूप्स, विशेषज्ञ बल, लॉजिस्टिक और इंजीनियरिंग ग्रुप, सैन्य मुख्यालय कार्मिक के साथ-साथ पूरी तरह से क्रियाशील और स्वतंत्र वैमानिकी यूनिट शामिल है।
भूमिका
भारतीय वायु सेना टुकड़ी 2000 की भूमिका यू एन ए एम एस आई एल को दिए गए अधिदेश के द्वारा निर्धारित की गई है। नियुक्ति के नियम इस बात पर जोर देते हैं कि हेलिकॉप्टर केवल आत्मरक्षा में अथवा यू एन ए एम एस आई एल के अधिदेश का अनुपालन करने में संयुक्त राष्ट्र सैन्य दलों या सैन्य कार्मिकों को संरक्षण मुहैया कराने में ही फायर कर सकते हैं।
गतिविधियां
पहले दिन से ही भारतीय वायु सेना टुकड़ी 2000 ने अपनी मौजूदगी का एहसास करा दिया और विभिन्न राष्ट्रों के शांतिदूतों से सद्भाव प्राप्त करने के साथ-साथ हताहतों को बचाने, मेडिकल, शस्त्रागार बचाव, संचार और लॉजिस्टिक सहायता के तौर पर अत्यंत महत्वपूर्ण सेवाएं की। भारतीय वायु सेना टुकड़ी ने कल्याणकारी गतिविधियों में सक्रिय तौर पर भाग लेकर बीमार और घायल स्थानीय लोगों की देखभाल कर स्थानीय जनता का दिल जीत लिया।
विशेष उपलब्धियां
बचाव ऑपरेशन - मकेनी
07 मई 2000 को, टुकड़ी को तीन (3) केन्याई युद्ध के हताहतों और 11 संयुक्त राष्ट्र सैन्य निरीक्षकों को मुख्य शहर मकेनी के उत्तर-पूर्व में मुक्त शहर से लगभग 150 किमी दूर घेराबंद गैरिसन से निकासी करने का कार्य सौंपा गया। हेलिकॉप्टर जिसके पायलट स्क्वाड्रन लीडर टी ए दयासागर और फ्लाइट लेफ्टिनेंट एम के यादव थे, को मकेनी हेलीपैड पर लैंड करने के तुरंत पश्चात् हेलिकॉप्टर को हेलीपैड के चारों ओर पोजिशन लिए हुए आर यू एफ विद्रोहियों की भारी गोलाबारी का सामना करना पड़ा। स्क्वाड्रन लीडर दयासागर ने गोलाबारी से भयभीत हुए बिना आपूर्ति को हेलिकॉप्टर से उतारा और हताहतों भयाक्रांत संयुक्त राष्ट्र निरीक्षकों की हेलिकॉप्टर में मदद की और फायरिंग के बीच विद्रोहियों के साथ उन्हें वहां से ले गए। जैसे ही हेलिकॉप्टर हवा में उड़ा, उसमें शुगमन की फायरिंग की वजह से बहुत तेज कंपन होने लगा और लगभग अनियंत्रित हो गया था। इस समय हेलिकॉप्टर घनी आबादी वाले और जंगल क्षेत्र के ऊपर उड़ रहा था और फोर्स लैंडिंग करने की कोई जगह दिखाई नहीं दे रही थी। टी ए दयासागर अपनी असाधारण दक्षता का परिचय देते हुए प्रथम उपलब्ध खाली जगह पर उतारने से पहले लगभग 10 किमी तक अशक्त हेलिकॉप्टर को उड़ाते रहे। स्क्वाड्रन लीडर टी ए दयासागर की आपातकालीन ''मे डे कॉल'' को उसी मिशन के लिए विंग कमांडर नेगी द्वारा उड़ाए जाने वाले दूसरे हेलिकॉप्टर द्वारा लिया गया, जो तुरंत फोर्स लैंडिंग वाली जगह की ओर बढ़े। विंग कमांडर आर के नेगी ने शीघ्र ही अपने हेलिकॉप्टर को क्षतिग्रस्त हेलिकॉप्टर के आगे उतारा और सभी हताहतों और सैन्य निरीक्षकों को तेजी से अपने हेलिकॉप्टर में स्थानांतरित कर लिया। इस दौरान, विद्रोहियों को सभी दिशाओं से हेलिकॉप्टर की ओर आता देखा गया। इस विद्रोही आक्रमण के अत्यंत गंभीर खतरे के कारण विंग कमांडर आर के नेगी ने मजबूरन क्षतिग्रस्त हेलिकॉप्टर को छोड़ने का निर्णय लिया और क्रू, घायलों और सैन्य निरीक्षकों को सुरक्षित हेस्टिंग्स पहुंचाया गया। इस निर्भीक और अच्छी तरह से समन्वित बचाव ऑपरेशन की संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क सहित पूरे विश्व में बड़ी सराहना की गई।
राहत और हथियारों की आपातकाल आपूर्ति
10 मई 2000 को, मकेनी से काबला की ओर कूच कर रही केन्याई बटालियन को राशन और गोला-बारूद आपूर्ति करने की आपातकालीन सूचना प्राप्त हुई। उस क्षेत्र में वायुयान उतारने के लिए किसी भी स्थान के न होने की वजह से, सैन्य मुख्यालय विद्रोही बहुल क्षेत्र में सुरक्षा पूर्वक केन्याई सेना को आवश्यक आपूर्ति पहुंचाने की संकटपूर्ण स्थिति में था। यहां यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि एयरक्रू को केन्याई सेना जो मूव कर रही है, के पास इकट्ठा होने के स्थान का केवल अनुमान ही दिया जा सकता था और घने जंगल वाले क्षेत्र में उनका पता लगाना बहुत ही मुश्किल था। असंख्य कठिनाइयों के बावजूद भी, टुकड़ी एयरक्रू ने अपनी उच्च कोटि की व्यावसायिकता को कायम रखा और बिना समय गंवाए स्थान का पता लगाया और केन्याई लोगों की प्रशंसा प्राप्त की।
आयुध भूमिका के लिए एम आई-8 और चेतक में आशोधन
जब कभी भी भारतीय वायु सेना की टुकड़ी को घोर आपातकालीन परिस्थितियों के लिए अधिदेश दिया गया, उसने हर मौके पर खुद को साबित किया है और अधिदेश के परे जाकर भी कार्य निष्पादित किए हैं। यू एन ए एम एस आई एल मोर्चे पर आर यू एफ विद्रोही हमलों द्वारा उत्पन्न की गई संकटपूर्ण स्थिति के दौरान, वायु में प्रभावी सुरक्षा प्रदान करने के लिए एम आई-8 और चेतक दोनों को आशोधित किया गया। ये सभी आशोधन, नवाचार और अत्यंत जोखिम भरे मिशन एयरक्रू द्वारा उस समय हाथ में लिए गए जब यू एन ए एम एस आई एल सेनाएं ताकतवर विद्रोही आक्रमणों के कारण अत्यंत दबाव में थीं। यहां यह उल्लेख करना सही होगा कि हेलिकॉप्टर द्वारा दी गई फायर सपोर्ट ने विद्रोहियों में खलबली मचा दी और इसने हमारी सेनाओं का मनोबल बढ़ाया, जिससे आखिरकार विद्रोहियों की आक्रामकता धीमी हो गई। एयरक्रू टुकड़ी ने हवाई टोह प्रदान करने और संवेदनशील मिशन क्षेत्रों में एरियल प्लेटफॉर्म और मोबाइल कमांड पोस्ट के तौर पर कार्य करने का चुनौतीपूर्ण कार्य हाथ में लिया।
ऑपरेशन खुकरी
विद्रोहियों ने 75 दिनों से 222 शांतिदूतों को बंधक बना रखा था। स्थिति खतरनाक हो चुकी थी। संयुक्त राष्ट्र सैन्य कमांडर ने अपने सेक्टर कमांडर से विचार-विमर्श करके सैन्य कार्रवाई का विकल्प चुना। भारतीय वायु सेना टुकड़ी को बहुत से प्रतिबंधों के साथ निष्कर्षण का कार्य सौंपा गया। मिशन को यू एन ए एम एस आई एल सेना के साथ जिसमें भारतीय शांतिदूत बड़ी संख्या में शामिल थे, बड़े ही शानदार ढंग से पूरा किया गया। 15 एवं 16 जुलाई 2000 को भारतीय वायु सेना टुकड़ी की अगुआई ग्रुप कैप्टन बी एस सिवाच अ वि से मे वा से मे द्वारा की गई।
• ऑपरेशन के दौरान, भारतीय वायु सेना टुकड़ी ने 66:05 घंटे की कुल 98 उड़ानें भरी। इस मिशन के लिए कुल 08 हेलिकॉप्टरों को प्रयोग में लाया गया। ऑपरेशन के लिए भारतीय वायु सेना की निम्नलिखित परिसंपत्तियों को प्रयोग में लाया गया :
• 3 X एम आई-35 गन शिप
• 3 X एम आई-8
• 2 X एलाउटिस
आगंतुक गणमान्य व्यक्तियों द्वारा सराहना
भारतीय वायु सेना टुकड़ी द्वारा प्रदर्शित उच्च व्यावसायिक मानकों को सैन्य कमांडर ने कई अवसरों पर सराहा है। 06 जून को टुकड़ी निरीक्षण के लिए सियरा लियोन के लिए संयुक्त राष्ट्र तथ्यान्वेषण प्रतिनिधि मंडल के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल मैनफुड एलसेक ने मकेनी से केन्याई हताहतों और 11 संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों को बचाने के खतरनाक मिशन के लिए टुकड़ी की सराहना की और ऐसी मुश्किल परिस्थिति में हेलिकॉप्टरों की 1000 सेवायोज्यता बनाए रखने के लिए प्रशंसा व्यक्त की। संयुक्त राष्ट्र तथ्यान्वेषण टीम को ब्रीफिंग देने के दौरान जोर्डेनियन (जोर्डन के) सेक्टर कमांडर ब्रिगेडियर जनरल ए सरहन ने संयुक्त राष्ट्र प्रतिनिधि मंडल के प्रमुख को यह बताया कि वह भारतीय वायु सेना टुकड़ी द्वारा प्रदर्शित की गई अविलंब प्रतिक्रिया और व्यावसायिक दृष्टिकोण से अत्यंत प्रभावित हैं और उनके विचार से यह उनकी देखी गई अभी तक की बेहतरीन विमानन यूनिट है।
डी जी एम ओ और उनके प्रतिनिधि मंडल के सदस्यों ने अपने दौरे के दौरान भारतीय वायु सेना टुकड़ी के उत्कृष्ट प्रदर्शन की बहुत प्रशंसा की। मुख्य चिकित्सा अफसर, संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क ने टुकड़ी के निरीक्षण दौरे के दौरान टुकड़ी द्वारा प्रदान की गई अति उच्च कोटि की चिकित्सा सेवाओं की बड़ी सराहना की। दौरा करने वाले गणमान्य व्यक्तियों द्वारा की गई टिप्पणियां नीचे दी गई हैं :
(क)लेफ्टिनेंट जनरल एन सी विज प वि से मे उ यु से मे अ वि से मे, डी जी एम ओ (10 जून 2000). ''आप सभी से मिलकर बहुत अच्छा लगा। शाबाश ! आपने देश को बहुत गौरवान्वित किया है और जबरदस्त सद्भावना अर्जित है। आपको आने वाले समय के लिए बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
(ख)मेजर जनरल वी के जेटली, उ यु से मे, फोर्स कमांडर (10 जून 2000). ''आपने बहुत कम समय में हैरतअंगेज कार्य किया है और वैश्विक स्तर पर अपनी एक पहचान बनाई है। एक फोर्स कमांडर के तौर पर मैं अपनी कमान के अधीन ऐसी उत्कृष्ट कोटि की व्यावसायिक यूनिट को पाकर बहुत गौरवान्वित हूं। अच्छा कार्य करना जारी रखें और ईश्वर आपको कामयाबी दें।
(ग)श्री बी एस लल्ली, संयुक्त सचिव (जी) (10 जून 2000).''हमारे बहादुर अफसरों और कार्मिक, जो बहुत ही शानदार कार्य कर रहे हैं, के बीच होना खुशकिस्मती की बात है। मैं ग्रुप कैप्टन सिवाच और उनकी टीम को शुभकामनाएं देता हूं।
(घ)श्री डी पी श्रीवास्तव, संयुक्त सचिव (यू एन) (10 जून 2000). ''मैं अपने अफसरों और कार्मिकों से अत्यंत प्रभावित हूं जो मुश्किल परिस्थितियों में अपनी ड्यूटी का निष्पादन कर रहे हैं।''
(च)एयर कमोडोर एस शाह अ वि से मे वा से मे, निदेशक ऑपरेशन (टी एंड एच) (10 जून 2000). ''मुश्किलों के बावजूद अच्छे तरीके से स्थापित भारतीय वायु सेना टुकड़ी कैम्प। सभी कार्मिकों के उच्च मनोबल को देखकर अच्छा लगा। संक्रियात्मक तौर पर टुकड़ी ने भारतीय वायु सेना को गौरवान्वित किया है। आतिथ्य सत्कार के लिए धन्यवाद।''
(छ)डॉ. सी हाले, डी पी के ओ, यू एन मुख्यालय, न्यूयॉर्क (16 जून 2000). ''मैं आपके स्टाफ की समस्या के बदले समाधान को देखने के सामर्थ्य और यू एन की वास्तविक भावना के अनुसार अपना कार्य करने से अत्यंत प्रभावित हूं।''
मिशन को अत्यंत प्रतिकूल मौसम दशाओं में कार्यान्वित किया गया। विंग कमांडर ए टी समतानी की अगुआई में एम आई-35 गनशिप से जोरदार सटीक निशाने लगाए गए जिसने आर यू एफ प्रतिरोध की कमर तोड़ दी। इसने विंग कमांडर आर के नेगी के नेतृत्व वाले एम आई-8 हेलिकॉप्टरों को उस स्थान में प्रवेश करने और सैनिकों को उतारने और उनकी पुनः तैनाती कर विद्रोहियों को मात देने के कार्य में सक्षम बनाया। पर्वतीय भूभाग में डी जेड, आर यू एफ सैनिकों से घिरा हुआ था, इसकी परवाह न करते हुए एम आई-8 हेलिकॉप्टरों ने वहां शीघ्रता से प्रवेश किया और ऑनबोर्ड असहाय सैनिकों के साथ बाहर निकले। स्क्वाड्रन लीडर गाब बाबू की अगुआई में एरियल प्लेटफॉर्म के तौर पर चेतक (हेलिकॉप्टरों) का उपयोग मोबाइल कमांड पोस्ट चौकियों के रूप में किया जिन्होंने फायर को निदेशित किया और परिशुद्धता के साथ टार्गेटों और डी जेड पर एम आई-35 और एम आई-8 हेलिकॉप्टरों को कॉर्डिनेट किया। पूरे ऑपरेशन के दौरान, भारतीय वायु सेना की टुकड़ी ने भारी फायरिंग की। दो आर्मी हताहतों को बचाने के ऑपरेशन के दौरान भी चेतक मददगार रहे। पूरा ऑपरेशन सुनियोजित, सुसमन्वित और पूर्ण सटीकता के साथ कार्यान्वित किया गया।
निष्कर्ष
भारतीय वायु सेना ने यू एन ए एम एस आई एल को ग्राउंड पर न्यूनतम कैजुअल्टी के साथ अपने मिशन को पूरा करने में बहुत ही सराहनीय भूमिका निभाई। फोर्स कमांडर, यू एन मुख्यालय, न्यूयॉर्क और विश्व ने भारतीय वायु सेना द्वारा निभाई गई भूमिका की बहुत प्रशंसा की।