नई दिल्ली : रविवार 09 सितंबर 2018
हाजिक मुश्ताक बेग और उसके मित्र कोलाहाई हिमनदी क्षेत्र में ट्रैकिंग कर रहे थे जब उनका दल हिम-दरार में गिर गया; दल के दो सदस्य गंभीर रूप से घायल हो गए। हाजिक को चोटें आईं जिसमें उन्हें तुरंत निकाल कर चिकित्सा सुविधा तक ले जाने की आवश्यकता थी।
भारतीय वायु सेना की पश्चिमी वायु कमान ने उधमपुर स्थित हॉवरिंग हॉक्स के दो चीता हेलिकॉप्टरों को रवाना किया जो उस समय श्रीनगर में थे। ऑपरेशन के सामान्य क्षेत्र में दुर्गम भूभाग और खराब मौसमी परिस्थितियों के कारण दो हेलिकॉप्टर आवश्यक थे। फॉल्कन फॉरमेशन के लीडर विंग कमांडर विशाल मेहता तथा को-पायलट फ्लाइट लेफ्टिनेंट मित्तल थे। उतरने के लिए किसी उपयुक्त स्थान की अनुपलब्धता के कारण हताहतों को विंच से उठाने की योजना थी।
स्थल पर पहुंचने के बाद विंग कमांडर मेहता ने महसूस किया कि हाजिक को उसकी गंभीर चोटों के कारण विंच से नहीं उठाया जा सकता, इसलिए दोनों हेलिकॉप्टर उड़ कर अवंतिपुर गए और दोनों तरफ के दरवाजों को हटा दिया, रास्ते में लिडरू से एक गाइड को बैठाया और एक बार फिर से उस स्थल पर पहुंचे। संपूर्ण अवधि के दौरान मौसम बहुत खराब था। स्थान की ऊंचाई 12000 फीट है जिसमें छोटे हेलिकॉप्टर की ऊपर उड़ने की परेशानियों में बढ़ोत्तरी की। अग्रणी हेलिकॉप्टर के कप्तान विंग कमांडर मेहता ने समतल भूमि के छोटे से स्थान को ढूंढ़कर, वहां उतरने का निर्णय लिया।
हाजिक को निकालने के बाद दोनों हेलिकॉप्टर उड़कर वापस बेस चले गए। मिशन के लीडर और अग्रणी हेलिकॉप्टर के कप्तान विंग कमांडर विशाल मेहता ने कहा, “वह स्थान ऐसा था कि जहां उतरने के लिए कोई स्थान नहीं था, हमने यह मान लिया था कि हताहत को विंच से निकालने का कोई प्रश्न ही नहीं है, इसलिए केवल एक विकल्प बचा था। मैंने अपने विंगमैन को ऊपर गोल चक्कर लगाने के लिए कहा जबकि मैंने समतल भूमि के छोटे से टुकड़े पर उतरने का प्रयास किया। इस लैंडिंग में मुझे एक हेलिकॉप्टर पायलट के तौर पर अपना संपूर्ण अनुभव और प्रशिक्षण लगाना पड़ा। हाजिक को बचाने के बाद अत्यधिक संतुष्टि की अनुभूति हुई।“