ऑपरेशन राहत

 



उत्तराखंड में हाल में आई भयंकर बाढ़ के दौरान राहत ऑपरेशन चलाए गए, भारतीय वायु सेना ने इन बेहद चुनौतीपूर्ण मिशनों को अपनी परम्परा के अनुरूप दृढ़ इच्छाशक्ति और अदम्य साहस से अंजाम दिया। भारतीय वायु सेना ने 12 जून 2013 को इन ऑपरेशनों की शुरूआत की और जैसे ही इस आपदा की भयावहता की रिपोर्ट आनी शुरू हुई, भारतीय वायु सेना ने 48 घंटों के अंदर आठ विभिन्न प्रकार के 45 हेलिकॉप्टर तैनात कर दिए, जो आठ अलग-अलग स्थानों से ऑपरेट कर रहे थे। यहां तक कि सारंग हेलिकॉप्टर की एयरोबैटिक टीम को भी इसमें शामिल कर लिया गया ताकि इन ऑपरेशनों को और अधिक कारगर बनाया जा सके।

धरासु और गौचर में दो अग्रवर्ती केन्द्र स्थापित किए गए। इसके अतिरिक्त, जॉली ग्रांट, पिथौरागढ़, धारचुला, जोशीमठ, रामपुर, बागेश्वर और शिमला में फ्लाइंग डिटैचमेंट तैयार किए गए। रिकॉर्ड समय में अस्थायी हैलीपैड भी बनाए गए और कई बार तो कार्मिकों को विंच से नीचे उतारा गया ताकि हवाई ऑपरेशनों की सुविधाएं मुहैया करवाई जा सके।

इन अग्रवर्ती ठिकानों पर ईंधन और हवाई यातायात नियंत्रण जैसी बुनियादी सुविधाएं स्थापित कर यहां से काम शुरू किया गया। एम आई-26 को अग्रवर्ती ठिकानों पर सारे ईंधन बाउजर पहुंचाने के काम पर लगाया गया। राहत ऑपरेशनों को जारी रखने के लिए सबसे जरूरी ईंधन की आपूर्ति करने के लिए पहली बार परिवहन बेड़े में सी-130 वायुयान का इस्तेमाल किया गया। धरासु और गौचर में मोबाइल हवाई यातायात नियंत्रण बैन को शामिल किया गया।

इन ऑपरेशनों के उल्लेखनीय 65 दिनों में भारतीय वायु सेना ने 3536 मिशनों को अंजाम देते हुए 23892 सिविलियनों को बचाया और 797.589 टन कीमती राहत सामग्री ढोई जो किसी भी दृष्टि से भागीरथी प्रयास से कम नहीं था।

हाल की आकस्मिक बाढ़ जिसे मीडिया द्वारा अक्सर ‘हिमालयी सुनामी’ का नाम दिया जाता है, जिसने जून 13 में उत्तराखण्ड और हिमाचल राज्यों में विनाश किया, ने अपने पीछे ‘ऑपरेशन राहत ‘ के रूप में भा वा से परिवहन तथा हेलिकॉप्टर बेड़े द्वारा आयोजित कुछ पराक्रमी तथा साहसी बचाव मिशन देखे। इसके अलावा इन घाटियों में बचाव कार्य के लिए कुछ सिविल हेलिकॉप्टर भी लगे हुए थे। पवन हंस द्वारा संचालित ऐसा ही एक हेलिकॉप्टर हर्सिल हेलिपैड पर मलबा पड़ा हुआ था। हेलिकॉप्टर की रिकवरी के लिए पवन हंस ने भा वा से से संपर्क किया।

सभी ऑपरेशन अति सुव्यवस्थित, क्रमबद्ध और व्यावसायिक तरीके से किए गए। हर्सिल से देहरादून तक का रिकवरी मार्ग प्रमुख रूप से भागीरथी/गंगा घाटी से होकर गुजरता था। यह घाटी कई स्थानों पर अत्यधिक संकरी है जहां हेलिकॉप्टर नहीं मुड़ सकता और वहां ऊंचे तोरण के कई स्थानों पर घाटी के ऊपर से हाईटेंशन केबल का भारी जाल बिछा हुआ है। इसके अलावा तीन घाटियों के संगम पर हर्सिल के होने के कारण 0900 बजे के बाद हवा बहुत तेज और भीषण हो जाती है। वायुकर्मीदल, भूकर्मीदल और शामिल सभी एजेंसियों के बीच सटीक तालमेल के परिणामस्वरूप एम आई-17 वी 5 द्वारा अंडरस्लंग मोड़ में एक दुर्घटनाग्रस्त सिविल हेलिकॉप्टर की सुरक्षित रिकवरी हो पाई। इस प्रकार के हेलिकॉप्टरपर यह पहला मिशन होने के कारण मिशन को समय पर पूरा करने के लिए मानव और मशीन दोनों ने सुरक्षा मार्जिन के भीतर अपनी सीमाओं में प्रचालन किया। कुल मिलाकर यह ऑपरेशन एक हेलिकॉप्टर कर्मीदल के वास्तविक ताहत को बाहर लेकर आया और साथ ही एक मार फिर एक प्लेटफॉर्म के रूप में वी 5 की बहुमुखी प्रतिभा को साबित किया।

 

Visitors Today : 103
Total Visitors : 968872
Copyright © 2021 Indian Air Force, Government of India. All Rights Reserved.
phone linkedin facebook pinterest youtube rss twitter instagram facebook-blank rss-blank linkedin-blank pinterest youtube twitter instagram