इस वर्ष जनवरी के मध्य में जम्मू-कश्मीर में भारी बर्फबारी के कारण इस पूरे क्षेत्र में जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, बनिहाल दर्रे से गुजर रही एच टी लाइनों के बर्फ में दबने के कारण श्रीनगर घाटी में बिजली की कमी हो गई। 21 जनवरी 13 को भारतीय पॉवर ग्रिड कॉर्पोरेशन ने बिजली की आपूर्ति बहाल करने के लिए भारतीय वायु सेना से मदद मांगी। उधमपुर स्थित चीता यूनिट को बनिहाल शिखर पर 300 मेगावाट पॉवर लाइन की मरम्मत करने के लिए मरम्मत करने वाली टीम को वहां पहुंचाने के चुनौतीपूर्ण और महत्वपूर्ण मिशन की जिम्मेदारी सौंपी गई। फ्लाइट कमांडर, विंग कमांडर नितिन बत्रा, सह पायलट स्क्वाड्रन लीडर मिलिंद और विंच ऑपरेटर फ्लाइट लेफ्टिनेंट राजा को उच्च जोखिम से भरे इस मिशन की जिम्मेदारी सौंपी गई।
इस मिशन के लिए जिस एच टी पॉवर लाइन की मरम्मत करनी थी, उसके पास रिज लाइन के ऊपर एक उपयुक्त जगह का चुनाव करने और फिर उस जगह पर सात कार्मिकों को लैंड करवाना था या जरूरत होने पर विंच द्वारा नीचे उतारना था। यह मिशन बेहद जोखिमपूर्ण था, क्योंकि इसमें इन कार्मिकों को बनिहाल दर्रे के पास 10,000 फुट की ऊंचाई पर हाई टेंशन केबल और पायलॉन के पास ही उतारना था, ये इलाका तेज हवाओं और भयंकर तूफानों के लिए जाना जाता है।.
22 जनवरी को कर्मीदल ने बर्फ में दबी हुई पॉवर लाइनों के आस-पास के इलाके की टोह ली और 30 मिनट टोह लेने के बाद उन्हें पता लगा कि वह जगह 9500 फुट की ऊंचाई पर पूरी तरह बर्फ से ढका हुआ है। इसके अलावा रिज के बिल्कुल ऊपरी भाग पर तथा तेज हवा बहने के कारण टीम को विंच की मदद से उस जगह नहीं उतारा जा सकता था। तथापि उस उबड़-खाबड़ बर्फीले स्थान पर लैंडिंग की जगह चुनी गई।
उसके बाद कर्मीदल सावधानीपूर्वक अनुमान लगाकर उस जगह के आस-पास क्या-क्या रुकावटें हैं क्योंकि प्रभावित जगह रिज टॉप पर थी, कर्मीदल ने बिना तैयारी के हाईटेंशन पायलॉन के पास कम ऊंचाई पर होवर किया ताकि लैंडिंग के लिए जगह निर्धारित की जा सके। ढलान और बर्फ की गहराई का अंदाज़ा लगाने के बाद स्थिति पर विचार किया गया। उस समय दिन के 1300 बज रहे थे और कार्मिकों को वहां छोड़ने और मरम्मत के बाद सूरज ढलने से पहले उन्हें वहां से वापस लेने का समय नहीं बचा था। एयरोस्पेस सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि मिशन अगले दिन सुबह के समय किया जाए।
23 जनवरी 13 को विंग कमांडर एन बत्रा और स्क्वाड्रन लीडर मिलिंद ने 0845 बजे मिशन के लिए उड़ान भरी। बनिहाल के निचले इलाके से उपस्कर सहित एक कार्मिक को लिया गया और उसे एक दिन पहले निर्धारित की गई जगह पर उतार दिया गया। बनिहाल के निचले इलाके से तीन फेरों में उड़ान भरकर 1015 बजे तक शेष छह कार्मिकों को भी इसी प्रकार निर्धारित जगह पर पहुंचा दिया गया।
इसके बाद हेलिकॉप्टर उधमपुर लौट गया जहां से उसे ईंधन भरवाकर फिर से उसी जगह जाना था। परंतु विंग कमांडर बत्रा ने देखा कि मौसम तेजी से खराब हो रहा था, और मरम्मत दल को जल्द से जल्द वहां से निकालना था, क्योंकि चारों ओर बर्फ से ढके उस इलाके में उनके पास अपने को बचाने का कोई साधन नहीं था। उन्होंने तुरंत दूसरा हेलिकॉप्टर लिया और उन कठिन परिस्थितियों में एक बार फिर से प्रभावित जगह से बनिहाल से निचले इलाके तक चार फेरों में उड़ान भरकर पूरी टीम को नीचे ले आए। इसी बीच उधमपुर से दूसरे हेलिकॉप्टर ने उड़ान भरी और सभी कार्मिकों को उधमपुर लाने में सहायता की।