दक्षिण प्रायद्वीप के आसपास हिंद महासागर में अस्सी के द्याुरूआती दद्गाक में महाद्गाक्ति प्रतिद्वंदिता एवं भू-राजनैतिक बदलाव की स्थिति से दक्षिण वायु कमान का उद्भव १९ जुलाई ८४ में हुआ जिसका मुखयालय त्रिवेंद्रम है। समुद्र तटवर्ती राज्यों में अस्थिरता के प्रयास एवं श्रीलंका में जारी मानवजातीय समस्याओं ने रक्षा योजना बनाने वालों ने प्रायद्वीपीय भारत की रक्षा जरूरतों पर नए सिरे से विचार करने पर मजबूर किया ताकि उपमहाद्वीपीय भू-भाग की प्रभावी तरीके से रक्षा की जा सके तथा महासागर की गहराई तक फैले अपने विद्गोヤा आर्थिक जोन की सुरक्षा की जा सके। बंगाल की खाड़ी में अंडमान एवं निकोबार द्वीप सहित १८ डिग्री उत्तर एवं अरब सागर में लक्ष्यद्वीप तक फैले भाग के लिए प्रायद्वीपीय भारत के भू-राजनैतिक क्षेत्र को कवरेज के लिए पूर्णरूपेण ऑपरेद्गानल वायु कमान को बनाने की जरूरत महसूस हुई। तदनुसार २० जुलाई ८४ को तिरूवनंतपुरम द्याहर के केंद्र में स्थित त्रावणकोर के महाराजा के पुराने महल ''बेलहेवन पैलेस'' में त्रिवेंद्रम में दक्षिण वायु कमान मुखयालय का उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने किया था। द्याुरूआत में कमान का ५ लॉजर यूनिटों पर नियंत्रण था। १५ वर्ヤा के कम समय में कमान बढ़कर १७ लॉजर यूनिटों को अपने क्षेत्राधिकार में ले लिया।
दक्षिण वायु कमान के निर्माण के कागजात राजनैतिक मामलों की कैबिनेट समिति को १० जुलाई ८४ को प्रस्तुत किया गया था तथा जिसकी अनुमति १९ जुलाई ८४ को मिल गई थी। तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने रक्षा मंत्री श्री आर वेंकटरमण की मौजूदगी में २० जुलाई ८४ को दक्षिण वायु कमान मुखयालय का उद्घाटन किया। इस द्याुभ अवसर पर वायुसेनाध्यक्ष एयर चीफ मार्द्गाल दिलबाग सिंह, दक्षिण वायु कमान के प्रथम ए ओ सी-इन-सी, एयर मार्द्गाल टी जे देसा एवं अन्य गणमान्य सिविलियन एवं सर्विस अफसर विद्गोヤा आमंत्रित अतिथि मौजूद थे।
कार्मिकों की संखया एवं संक्रियात्मक महत्व के बढ़ने के साथ कमान मुखयालय के लिए आक्कुलम में स्थायी आवास की योजना बनाई गई। तदनुसार कमान मुखयालय का स्थायी निर्माण पूरा किया गया तथा ०८ अगस्त १९९६ को मुखयालय बेल हेवन पैलेस से आक्कुलम स्थानांतरित हो गया।
समुद्री लहरों अपनी उपरिकेंद्र से सभी दिशाओं में चले गए। अपने आंदोलन के दौरान यह ऊर्जा को इकट्ठा किया और ७००-८०० किलोमीटर प्रति घंटे से अधिक गति पर यात्रा की। किसी भी सुनामी चेतावनी प्रणाली के अभाव के कारण, पूरे क्षेत्र अनजाने में पकड़ा गया था। यह अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह और भारत और श्रीलंका के पूर्वी तट तबाह हो।
इस प्रलय की आरंतभक सूचना इले्ट्रॉतनक मीकडया के माध्यम से प्राप्त हुर्। चेतावनी की क्षस्कथतत द्ााुरू करने की पहली खबर एवं वायुयान की मांग ०८ाः०५ बजे स्कटेगान को प्राप्त हुर्। एक घंटे के भीतर तांबरम के वायुयानों को क्रमगाः १०ाः०० बजे एवं १०ाः१५ बजे भेजा गया। ये वायुयान बाि में उसी किन पोटईदलेयर एवं कातनईक को भेज गए। एक ए एन-३२ पवमान २२ाः५० बजे तांबरम के तलए भेजा गया।
३३ स्क्वाड्रन द्वारा ऑपरेगान
प्रथम ए एन-३२ क्षजसके कैप्टन पवंग कमांडर एम बी असेटकर थे, द्वीप की संचार हयवस्कथा ध्वस्कत होने के कारण अपूणई सूचना के साथ, तांबरम से पोटईदलेयर के तलए १२ाः३० बजे रवाना हुआ। वायुयान में कोर् सामग्री नहीं थी ्योंकक पबना समय गवाएं वायुयान को भेजना था जबकक राहत सामग्री की हयवस्कथा की जा रही थी। क्रू एच एफ रेकडयो से उपलदि सूचना मुहैया करा रहा था। वे आरंभ से पोटईदलेयर में उतर गए और ईंिन एवं पानी, भोजन एवं कम्बल आकि लेने के बाि करीब १७ाः३० बजे कातनईक के तलए उड़ान भरी। कातनईक ने वायुयान से ए यू पी पर आर टी संपकई ककया तथा रनवे की हालत के बारे में वायुयान को चेतावनी दि। रनवे का १५०० फुट अस्कपヤट था, अंततम २००० फुट जलमग्न था तथा इनके बीच के भाग में कई द्दिरारें थी।
वायुयान सकुगाल उतर गया तथा लिा सामान उतारा गया। स्कटेगान कमांडर ने वायुयान की आगवानी की। बचे हुए सारे लोग पवतरण के स्कथान पर एकत्र हुए थे। स्कथानीय लोग एयरफील्ड में एकत्र होने लगे। पूणई िमता से यापत्रयों को बैठाकर वायुयान पोटईदलेयर के तलए उड़ गया। िूसरा वायुयान राहत सामग्री लेकर तांबरम से पोटईदलेयर पहुंचा इसके बाि यह वायुयान भी कातनईक से पोटईदलेयर के तलए बचे हुए लोगों को पोटईदलेयर ले जाने के काम में लग गया।
सामान्य तौर पर गहरे सागर और द्वीप के बीच रापत्र ऑपरेगान नहीं ककए जाते हैं, समय की मांग ने सभी प्रततकूलताओं जैसे नेपवगेगान मिि की कमी, आर/टी, िततग्रस्कत एवं पानी में डूबे रनवे के पवरुद्द कार तनकोबार में रापत्र के ऑपरेगानों पर अंकुगा लगाने के बावजूि रापत्र में ऑपरेगान ककए गए। ये पहले वायुयान थे जो मुखय जमीन से अंडमान एवं तनकोबार द्वीप पर उतरे, इस प्रकार सुनामी से तहस-नहस लोगो की जान बचायी।
इन वायुयानों ने तसफई लोगों की जान ही नहीं बचार् बक्षल्क अंडमान एवं तनकोबार द्वीप के लोगों के मनोबल को भी बढ़ाया जो यह जान चुके थे कक मिि बहुत पास है। २६ फरवरी ०५ तक ए एन-३२ ने ३१८२ को एवं १,५३,१०० ककग्रा राहत सामग्री को पवमान से भेजा।
द्ााुरूआती वायुयान ऑपरेगानों के बाि भारत एवं श्रीलंका के सुनामी प्रभापवत िेत्रों में ए एन-३२ वायुयान एवं एम आर्-८ हेतलकॉप्टरों से तनरंतर ऑपरेगान चलते रहे। 'कहमालयन गीज' के नाम से प्रचतलत ३३ स्क्वाड्रन द्वारा ककए गए कायई से सापबत होता है कक ३३ स्क्वाड्रन के कातमईक हमेगाा अपने आिगाई वा्य 'श्रम ििातत तसपद्दम' के साथ रहते हैं।
हेलीकाप्टर संचालन
२७ किसंबर ०४ को सुलूर में आकक्षस्कमक तौर पर एम आर्-८ हेतलकॉप्टर की टुकड़ी तैयार की गर्। तत्कालीन कमांकडंग अफसर पवंग कमांडर यू के द्ामाई ने बतौर टास्कक फोसई कमांडर पहले तीन एम आर्-८ हेतलकॉप्टरों के साथ मिुरर् के रास्कते कोलंबो प्रस्कथान ककया। श्रीलंका जाने वाली भारतीय वायु सेना राहत टीम की पहले िल का कहस्कसा थे।
सेना की टुकड़ी के तत्काल कार्य असहाय लोगों और बचे के लिए खोज करने के लिए किया गया था। अन्य कार्यों के बचाव और आवश्यक आपूर्ति की हवा उठाने के प्रावधान शामिल थे।
पर २८ किसंबर ०५, तीन और हेलीकाप्टरों टुकड़ी में शामिल हो गए। तीन हेलीकाप्टरों में से एक टुकड़ी के बारे में 90 मील की दूरी पर कोलंबो के उत्तर पूर्व मनेररया पर एस एल ए एफ आधार करने के लिए भेजा गया था। तीन हेलीकाप्टरों की अन्य टुकड़ी कटुनायके में एस एल ए एफ आधार पर आधारित था। इस प्रकार, भारतीय दल लगभग सुनामी से प्रभावित पूरे क्षेत्र को कवर किया।
श्रीलंका में इन तीन सप्ताह के िौरान यूतनट के हेतलकॉप्टरों ने िुघईटनाओं से लेकर हवार् अनुरिण तक के ढेर सारे ऑपरेगानों को अंजाम किया। इस िल ने २७० घंटों में कुल ४२२ सॉटी की क्षजसमें २,३५,००० ककग्रा राहत सामग्री पहुंचाया एवं २५ िुघईटनाओं सकहत ६७३ यापत्रयों को हवार् मिि मुहैया कराना द्ाातमल है।
भारतीय वायु सेना की टुकड़ी को अंततः २२ जनवरी ०५ को इस ऑपरेगान से अलग कर किया गया तथा वह भारत वापस आ गए।
श्रीलंका में ऑपरेगान को अंजाम िेने वाले हेतलकॉप्टरों के अततररक्त १०९१ हेतलकॉप्टर यूतनट काफी संखया में एयरक्रू एवं ग्राउंड क्रू को २७ किसंबर ०४ को अततररक्त क्रू के रूप में भेजकर छोटे ऑपरेगान करते रहे। इसमें उस स्कटेगान में कायईरत कातमईक के मनोबल को भी बढ़ाया।
१०९ हेतलकॉप्टर यूतनट के हेतलकॉप्टरों ने कर् उछच पिातिकाररयों को हवार् सवेिण भी कराया तथा भारतीय प्रायद्वीप के प्रभापवत िेत्रों का मुआयना कराया। इसमें ततमलनाडु की मुखयमंत्री सुश्री जयलतलता, श्री एल के आडवानी एवं प्रिानमंत्री के अनुचर द्ाातमल हैं।
महाराष्ट्र बाढ़ राहत कार्यों
कोल्हापुर के समीप िेत्र-०५ अगस्कत ०५ से १३ अगस्कत ०५
२००५ का मानसून िेगा के कर् राज्यों के तलए वरिान था। हालांकक महाराヤट्र के कोल्हापुर के लोगों के जेहन से इस वर्ヤाा की बाढ़ की यािों को तमटाना मुकगकल होगा। ०५ अगस्कत को महाराヤट्र में मानसून पूणई रूप से आया। कोयना क्षस्कथत जलागाय सकहत अतिकांगा जल स्रोत जलमग्न हो गए। भारी एवं तनरंतर वヤर्ाााा से भरे कोयना बांि से पानी छोड़ना जरूरी हो गया ताकक बांि को िततग्रस्कत होने से बचाया जा सके क्षजसके फलस्कवरूप कोल्हापुर एवं तसरोल क्षजला बाढ़ की चपेट में आ गया।
बाढ़ राहत के तलए ०५ अगस्कत ०५ को कायई किए जाने के १ाः३० घंटे में एक एम आर्-८ हेतलकॉप्टर बाढ़ राहत ऑपरेगानों के बढ़े हुए समय के ऑपरेगानों को पूरा करने में पूणई रूप से तैयार एवं पयाईप्त था। इसकी कमान यूतनट के कमांकडंग अफसर पवंग कमांडर ए आर द्ोण्डे के पास थी।
राहत आपरेशन का संयोजन करने वाले वायु सेना स्कटेगान बेलगाम के मुखय इंजीतनयरी अफसर ने इस कडटैचमेंट की िीकफंग की। चूंकक सभी गांव निी के ककनारे होने से उसकी चपेट में आ गए अथाईत कृरणा पांच गंगा तथा िूिगंगा पूणई रूप से जलमग्न थी। ऑपरेगान में संकट में फंसे ग्रामीणों को तनकालना तथा बहुत आवगयक िवाइयां, भोजन, पानी एवं जानवरों का चारा मुहैया कराना द्ाातमल था। सभी ऑपरेगान कोल्हापुर से ककए गए।
आपरेशन में २४ घंटे तथा कुल ६४ सॉटी की उड़ान भरी गर्। कुल २८४७५ ककग्रा भार की सामग्री लािी गर् तथा प्रकक्रया में ०२ िुघईटनाओं सकहत ४१ यापत्रयों को हवार् मागई से तनकाला गया।
आपरेशन के िौरान हेतलकॉप्टरों से पूणई प्रततबंतित एवं सीतमत िेत्रों में भी रसि तगराया गया। चूंकक पूरा िेत्र जलमग्न था तो कभी-कभी हेतलकॉप्टरों ने कम ऊंचार् पर छत के ऊपर तथा पानी की टंकी पर रसि तगराकर यह सुतनकगचत ककया कक राहत सामग्री िततग्रस्कत न हो।
पूरे संचालन में व्यापक रूप से मीडिया द्वारा कवर किया गया और हेलीकाप्टर इकाई की भूमिका एक और सभी ने सराहना की गई। टुकड़ी पर 13 अगस्कत, 05 एक वातावरण है जो दोनों की मांग और चुनौतीपूर्ण था में एक सफल मिशन के बाद डी-शामिल किया गया था।
आंध्र प्रदेश बाढ़ राहत कार्यों
राजमुंरी/राजमुंरी के आस-पास का िेत्र -२१ तसतंबर ०५ से २६ तसतंबर ०५
तसतंबर २००५ के तीसरे सप्ताह में बंगाल की खाड़ी से उठने वाले चक्रवाती तूफान ने आन्ध्र प्रिेगा को पानी से सराबोर कर गंिा कर किया। गोिावरी निी का पानी भरचालम तथा राजमुंिरी क्षजलों में खतरे के स्कतर से तेजी से ऊपर बढ़ गया। इससे इन िेत्रों में जान, फसल एवं संपपत्त का भारी नुकसान हुआ। 'ि नाइट स' के नाम से प्रतसद्द १०९ हेतलकॉप्टर यूतनट के एक एम आर्-८ को इन पररक्षस्कथततयों में आंध्रप्रिेगा के जरूरतमंिों को राहत एवं मिि मुहैया कराने के तलए भेजा गया।
२१ तसतंबर ०५ को यूतनट के फ्लाइट कमांडर पवंग कमांडर बी के द्ामाई के कमान में एक एम आर्-८ हेतलकॉप्टर जो बाढ़ राहत ऑपरेगानों के तलए सभी मामलों में उपयुक्त था। उन्होंने वायु सेना स्कटेगान हाककमपेट का मोचाई संभाला। हेतलकॉप्टर ने अपने सभी ऑपरेगानों को राजमुंिरी एयरफील्ड से अंजाम किया।
पवतभन्न राज्य सरकार एवं केंर सरकार के वररヤठ अतिकाररयों ने यूतनट हेतलकॉप्टर से बाढ़ प्रभापवत िेत्रों की पवस्कतृत टोह ली। इसमें खमाम, भरचालम, पवजयवाड़ा एवं पवगााखापट नम क्षजलों के िेत्र द्ाातमल थे। िूर-िरार के गांवो में जहां सड़क मागई से पहुंचना संभव नहीं था वहां भोजन के पैकेट तथा िवाइयों को हेतलकॉप्टर से तगराया गया।
इस राहत ऑपरेगान में १४ाः२५ घंटो में कुल १२ सॉटी भरी गर् क्षजसमें २७० ककग्रा भार एवं ३३ यापत्रयों को वायु मागई से तनकाला गया। कायई पूरा होने के बाि २६ तसंतबर ०५ को हेतलकॉप्टर वायु सेना स्कटेगान हाककमपेट वापस आ गया।
राहत अभियान: मेत्तूर बांध
तमिलनाडु और कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से भारी अंत: प्रवाह के उत्तरी और मध्य जिलों में व्यापक प्रसार बारिश उफान पर नदियां कावेरी, तब पेन्नार और Paalaar छोड़ दिया था। पिछले 15 साल में पहली बार के लिए, स्टेनली जलाशय के पानी का अधिक से अधिक दो लाख क्यूसेक पानी प्राप्त किया था, जलाशय से एक ही दर पर पानी का निर्वहन करने के लिए अधिकारियों को मजबूर है, के रूप में जलाशय भरा था। यह धर्मपुरी, सलेम में गांवों और कस्बों नदी पर की बाढ़ में हुई, इरोड और तिरूचि जिलों।
मेत्तूर पर स्टेनली जलाशय से पानी की अधिशेष निर्वहन के कारण 27 गांवों Aathukkadu गांव में मेत्तूर बांध के पास असहाय हो गया। गांव नदी के पास एक ऊंचा पठार पर था और पिछले दो दिनों के लिए असहाय था। इन ग्रामीणों को बचाने के लिए डूबने से एक एमआई -8 हेलीकॉप्टर 24 Oct, 05. इस मिशन के विंग कमांडर बीके शर्मा के नेतृत्व में किया गया था पर काम सौंपा गया था। सिर्फ 30 मिनट के एक मामले में, हेलीकाप्टर, मेत्तूर हेलीपैड पर उतरा। बंद करने के लिए बिना एक त्वरित संक्षिप्त लिया गया था और हेलीकाप्टर Aathukkadu है, जो पानी से सभी पक्षों से कवर किया गया था के गांव के लिए रवाना हुए। आवश्यक आकलन करने के बाद, एक लैंडिंग गांव में एक खुले मैदान में किया गया और ग्रामीणों को एक सुरक्षित करने के लिए निकाला गया हेलीपैड। दो उड़ानें भरी की कुल बाहर किया गया, जिसमें 27 यात्रियों को बचा लिया गया। बचाया एक वर्ष 105 साल Ponnuthayammal नाम पर महिला और एक छह महीने का बच्चा लड़का रघु नामित शामिल थे।
आधे घंटे के एक मामले में पूरे मिशन पूरा किया गया। प्रचलित खराब मौसम और बारिश के बावजूद, एक तेज और सटीक मिशन के लिए एक बहुत ही कम समय में मार डाला गया था। हेलिकॉप्टर में एयर फोर्स स्टेशन Sulur में लौट आए शाम। बचाव अभियान अच्छी तरह से टेलीविजन समाचार चैनलों और राष्ट्रीय दैनिक समाचार पत्रों द्वारा दोनों कवर किया गया था।
राहत ऑपरेगानः मेटूर बांि
व्यापक आपदा प्रबंधन आज की आवश्यकता है। यह दोनों मूल्यांकन और प्रतिक्रिया शामिल है। साथ हाल ही में आपदाओं और बाढ़ राहत में अपनी गहरी भागीदारी, मुख्यालय दक्षिणी वायु कमान में कुछ सुझाव जो भविष्य से निपटने में एक लंबा रास्ता तय करना होगा सीखा है आपदाओं और आपदाओं।
इमेट टूर के स्कटेनली जलागाय से छोड़े गए अततररक्त पानी ने आथूकाडू गांव के मेटूर बांि के समीप के २७ गांव असहाय हो गए। गांव निी के पास ढलान वाले पठार पर था तथा िो किनों के तलए अलग-थलग पड़ गया। इन ग्रामीणों को डूबने से बचाने के तलए २४ अ्टूबर ०५ को एक एम आर्-८ हेतलकॉप्टर को भेजा गया। इस तमगान का नेतृत्व पवंग कमांडर बी के द्ामाई ने ककया। केवल ३० तमनट के भीतर हेतलकॉप्टर मेट टूर हेतलपैड पर उतर गया। पबना हेतलकॉप्टर के क्षस्कवच ऑफ ककए संक्षिप्त जानकारी लेकर हेतलकॉप्टर आिुकुडू गांव के तलए तनकल गया, क्षजसके चारों ओर पानी भरा हुआ था। आवगयक समीिा करने के बाि हेतलकॉप्टर को गांव के एक खुले मैिान में उतारा गया तथा ग्रामीणों को सुरक्षित हेतलपैड के तलए हवार् मागई से ले जाया गया। कुल िो साटी भरी गर् क्षजसमें २७ यापत्रयों को बचाया गया। बचाव में १०५ वर्ヤाा बूढ़ी मकहला पोन्नुथायामल तथा छः माह का बछचा रघु द्ाातमल था। आिे िंटे में तमगान पूरा कर तलया गया। खराब मौसम एवं वヤर्ाााा के बावजूि काफी कम समय में मुस्कतैिी के साथ तमगान पूरा कर तलया गया। हेतलकॉप्टर द्ााम को वायु सेना स्कटेगान सुलूर वापस लौट आया। बचाव तमगान को टी वी समाचार चैनलों एवं राヤट्रीय समाचार पत्रों में अछछे से किखाया गया।
अन्त में, वायु सेना में संपत्ति दुर्लभ हैं और विवेकपूर्ण तरीके से इन परिसंपत्तियों का उपयोग करने के लिए हर किसी को शिक्षित करने के लिए एक की जरूरत है।
और कुछ अतग्रम संकेत
आपदाओं कम या कोई चेतावनी के साथ आते हैं। इसलिए, एक प्रारंभिक मौसम और सूचना प्रणाली सही जगह में होना करने के लिए एक तत्काल आवश्यकता है। अगले आता है, संसाधनों जो आपदा की जगह के लिए पुरुषों की लामबंदी और सामग्री शामिल । इसके अलावा, प्रत्येक आपदा आवश्यकताओं अलग और विशेष विशेषज्ञता की जरूरत है। यह एक ऐसी सीमाओं कि मुख्यालय सैक हमेशा एक नोडल एजेंसी वहाँ पहले तक पहुँचने के लिए यह सुनामी या दक्षिण भारत के विभिन्न राज्यों में बाढ़ होना कर दिया गया है के अधीन है।
हाल की प्रवृत्तियों से पता चला है कि मुख्यालय सैक विभिन्न केन्द्रीय / राज्य के अधिकारियों के लिए एक प्रमुख और शक्तिशाली एजेंसी के रूप में उभर रहा है आपदाओं और आपदाओं के मामले में मदद के लिए ऊपर देखा जा सकता है। इसके निरंतर अनुभव, परिपक्व और जिम्मेदार प्रशासन, मुख्यालय थैली के साथ 43 के माध्यम से विंग दौर विभिन्न अवसरों की मांग पर घड़ी राहत कार्यों के बाहर ले जाने से वायु सेना गौरवान्वित किया है। अतीत की उपलब्धियों पर आराम नहीं, वे हमेशा जो कुछ दिन के किसी भी समय उन्हें काम सौंपा है पर लेने के लिए तैयार हैं।