भारतीय वायु सेना ने सोमालिया में शांति बनाए रखने के लिए संयुक्त राष्ट्र ऑपरेशन की मदद के लिए 01 अक्तूबर 93 से 21 दिसंबर 94 तक भारतीय टुकड़ी के तौर पर भाग लिया।
ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
जनवरी 91 में राष्ट्रपति, सईद बर्रा का पतन होने से सत्ता संघर्ष और जाति टकराव आरंभ हुआ। नवंबर 91 तक स्थिति इस हद तक बिगड़ चुकी थी कि मौत और विध्वंस ने लाखों नागरिकों को अपने घरों से भागने को मजबूर कर दिया था और वहां आपातकालीन मानवीय सहायता की आवश्यकता थी। इसके साथ ही भयंकर कुपोषण और उससे संबंधित बीमारियों के कारण लगभग 3 लाख लोगों की मृत्यु हो गई थी।
22 अप्रैल 92 को, महासचिव द्वारा की गई सिफारिशों की प्रतिक्रिया में, सुरक्षा परिषद ने संकल्प सं. 751(1992) अपनाया जिसके द्वारा यू एन ओ एस ओ एम की स्थापना हुई।
भारतीय टुकड़ी
सैनिकों का पहला बैच 28 अगस्त 93 को राजधानी मोगादिशु में उतरा। 22 अक्तूबर 93 तक इंडक्शन पूरा कर लिया गया। भारतीय अस्पताल और विमानन तत्काल प्रभाव से ऑपरेशनल हो गए थे। भारतीय टुकड़ी ने औपचारिक तौर पर 13 नवंबर 93 को अपने दायित्व क्षेत्रों की जिम्मेदारी ले ली थी।
वायु ऑपरेशन
भारतीय वायु सेना के हेलिकॉप्टरों को निम्नलिखित कार्यों में लगाया गया :-
• सड़क खोलना और कॉन्वॉय का मार्गरक्षण
• हवाई टोह
• हताहतों को बचाना
• संचार
युद्ध में हताहत
08 दिसंबर 94 को 1730 बजे अंतर जातीय मुठभेड़ के दौरान सोमालियन नागरिक सेना द्वारा दागा गया रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड उस बैरक की छत पर फट गया जिसमें भारतीय वायु सेना के अफसर थे। विस्फोट में, दो अफसर और एक वायुसैनिक घायल हो गए।
घटनाओं की संक्षिप्त डायरी
प्रस्थान से पहले दो टैंक रोधी गाइडेड मिसाइल (ए टी जी एम) हेलिकॉप्टरों ने पोखरण में 12 मिसाइलें दागी जिसके परिणाम उत्साहवर्धक रहे थे। प्रस्थान से पूर्व की योजना अति सतर्क रहना था। यह संयुक्त राष्ट्र मिशन में भारतीय वायु सेना के कार्मिकों के भाग लेने के लिए सरकारी मंजूरी के साथ आरंभ हुआ। विभिन्न मदें जैसे यूनिट डायरी, आगंतुक पुस्तिका, कार्यालय सामग्री के लिए स्टांप, स्टिकर, यूनिट मोमेंटो, डी ओ पैड, यूनिट बैज के साथ पूरी तरह से सिली हुई यूनिफॉर्म लाई जानी थी। सूची अनंत थी जिसके लिए विभिन्न स्तरों पर विचार-विमर्श के कई दौर की आवश्यकता थी।
01 अक्तूबर 93 को पंद्रह(15) कार्मिकों के पहले बैच के साथ दो हेलिकॉप्टरों को ए एन-12 में दिल्ली से मोगादिशु लाया गया। इसके बाद शेष कार्मिक 06 अक्तूबर 93 और 10 अक्तूबर 93 को गए। 111 एच यू द्वारा दो हेलिकॉप्टर उपलब्ध कराए गए। भारतीय ब्रिगेड के स्टोर सहित भारतीय वायु सेना का भंडार एक विशेष आर्मी ट्रेन द्वारा ले जाया गया। एक अफसर और चार वायुसैनिकों को साथ में एस्कॉर्ट के लिए भेजा गया। मुंबई में स्टोर्स को कंटेनर में भरकर जहाज से मोगादिशु रवाना कर दिया गया। भारतीय वायु सेना के डिटैचमेंट में 9 अफसर, 22 अन्य रैंक और 3 एन सी (ई) थे। एम टी सपोर्ट में दो जिप्सियां, एक निशान मिनी कोच और एक निशान ट्रक शामिल था।
पहली सॉर्टी भारत से सोमालिया पहुंचने के एक घंटे के भीतर ही तब भरी गई जब हेलिकॉप्टरों को ''लाल किला'' नामक भारतीय कैम्प में हेलीपैड पर ले जाया गया। ब्रिगेड कमांडर ने 12 अक्तूबर 93 को दायित्व क्षेत्र की टोह लेने के लिए प्रथम ऑपरेशनल उड़ान उप कमांडर के साथ बैडोआ के अंदर और उसके चारों ओर भरी जो ब्रिगेड की स्थायी लोकेशन होने वाली थी। पायलट को वायु मुख्यालय के लोगों का अवश्य ही शुक्रगुजार होना चाहिए था जिन्होंने उन्हें जी पी एस (ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम) जो एक नेवीगेशन उपकरण है, मुहैया कराया। इस सहायता के बिना सोमालिया जैसे आकृतिहीन देश में मार्गनिर्देशन करना मुश्किल होता।
गणतंत्र दिवस बहुत ही धूमधाम से मनाया गया। भारतीय वायु सेना द्वारा भरी गई सलामी उड़ान और एयर ऑपरेशन की अत्यधिक प्रशंसा की गई और उन्हें ये सब दोबारा करना पड़ा।
फरवरी में, यूनिट ने महार बटालियन को वायु रक्षा प्रदान की, यह बटालियन 500 शरणार्थियों को मोगादिशु से उनके गांव ले जा रही थी।
मार्च में, कुछ डाकुओं ने रक्षक दल पर आक्रमण किया और महार रेजीमेंट के सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की और कुछ डाकुओं को मार गिराया। परिस्थितियों के बदलाव में भारतीय हेलिकॉप्टरों ने हताहतों को बचाने की सेवा प्रदान कर डाकुओं की जान बचाई।
सोमालिया में युद्ध को रोकने की कोशिश में भारतीय टुकड़ी के हिस्से में भी कुछ विपत्तियां आईं। 22 अगस्त को दो दर्जन महार सैनिकों पर घात लगाकर हमला किया गया। एक जे सी ओ सहित 7 लोगों की जान चली गई। 28 अगस्त 94 को फील्ड एम्बुलेंस यूनिट के तीन चिकित्सा अफसरों की मृत्यु हो गई।
डी-इंडक्शन
10 भारतीय वायु सेना कार्मिकों का पहला बैच 14 दिसंबर 94 को डी-इंडक्ट हुआ। अंतिम बैच 20 दिसंबर 94 को वापस आया। आर पी जी विस्फोट में चोट लगने के कारण कॉर्पोरल नासिर को घायल अवस्था में छोड़ दिया गया। महत्वपूर्ण स्टोर्स संयुक्त राष्ट्र द्वारा दिए गए ए एन-124 द्वारा 19 दिसंबर 94 को डी-इंडक्ट हुए। भारी स्टोर्स को मोगादिशु जहाज द्वारा वापस लाया गया।
निष्कर्ष
भारतीय टुकड़ी ने मानवतावादी दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने विभिन्न प्रोजेक्ट जैसे व्यावसायिक प्रशिक्षण, पशु चिकित्सा प्रशिक्षण, कार्य के बदले अनाज, अनाथालय को गोद लेना, सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन और स्थानीय टीम के साथ छोटे इवेंट्स को संभाला। बेरोजगार जनसंख्या पर इसका प्रभाव पड़ा और उन्होंने अपनी ऊर्जा को दस्युता से हटाकर उपयोगी कार्यों में लगाया।
भारत के लोगों ने सोमालिया की संस्कृति, रीति-रिवाज, भाषा को सीखने में मेहनत की और उनके धर्म का आदर दिया। बिना पक्षपात किए भारतीय कार्यक्षेत्र के भीतर के सभी विवादित मुद्दों को बिना बल का प्रयोग किए बातचीत से सुलझाया गया।
भारतीय ब्रिगेड ने भारतीय सेना बैंड और सोमालिया गायकों दोनों को मिलाकर एक म्यूजिकल ग्रुप बनाया। इससे सोमालिया के लोगों में गर्व की अनुभूति उत्पन्न हुई।
भारतीय वायु सेना ने 30 साल के अंतराल के बाद संयुक्त राष्ट्र शांति मिशन में भाग लिया था। उचित योजना और दूरदर्शिता के कारण मिशन अच्छे से पूरा हुआ और भारतीय वायु सेना कार्मिक भारतीय वायु सेना का ध्वज ऊंचा रखने में सक्षम रहे।