सूडान (संयुक्त राष्ट्र मिशन)

 

खारटोम में नीली और श्वेत नील नदी का संगम

सूडान, उत्तरी अफ्रीका का सबसे बड़ा देश है। यह प्रत्यक्ष रुप से मिस्र के दक्षिण में स्थित है। मिस्र की ही तरह नील और इसकी उपनदियां इस अत्यंत गर्म मरूस्थली देश का जीवन हैं। सूडान में नील नदी के किनारे खेती और पशुपालन करते हुए हज़ारो वर्ष से लोग रह रहे हैं। पिरामिंड ऐसे समय की कहानी बताते हैं जब फेरो ने सूडान को अपना घर बनाया था। आज, पैंतीस मिलियन की जनसंख्या के साथ सूडान एक विकासशील आधुनिक राष्ट्र है जो किसी भी तरह से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में अपना स्थान बनाने का प्रयास कर रहा है।

भूभाग

सूडान एक विशाल देश है। इसका आकार लगभग पश्चिमी यूरोप के बराबर है। इस देश का महत्वपूर्ण विशेषता नील नदी है जो कि श्वेत नील और नीली नील से मिल कर बनती है जिसका संगम सूडान की राजधानी खारटोम में होता है। सामान्य रूप से यह देश समतल है। इसके अपवाद, पूर्व के तटीय पहाड़ो, नूबा पर्वत और दूरस्थ पश्चिमी पहाड़ो के रूप मे मौजूद हैं। उत्तर और दक्षिण के बीच में भी विशेष अंतर है। उत्तरी सूडान बहुत शुष्क है, इसमें मरूस्थल और बंजर भूमि फैली हुई है। दक्षिणी सूडान में वर्षा वन और दलदली भूमि शामिल है जो कि खेती के लिए अनुकूल है।

जलवायु

सूडान गर्म, अत्यंत गर्म है। वहां शुष्क ऋतु और वर्षा ऋतु होती है। वर्षा ऋतु का समय इस बात पर निर्भर करता है कि कोई उत्तर से कितना दूर रहता है। सूडान के एकदम दक्षिण में नौ माह की वर्षा ऋतु रहती है जबकि उत्तर में स्थित अटबारा जैसे शहर को मुश्किल से एक सप्ताह भर की ही बारिश की बौछार ही नसीब होती है। खारटोम मे सामान्यतः दो महीने की वर्षा ऋतु होती है जो जुलाई और अगस्त के महीनें में रहती है। सूडान में मई तथा जून महीने में तापमान अधिकतम होता है जो कि रेत के तूफानों का भी मौसम होता है। दैनिक औसतन तापमान 370 सेल्सियस और 430 सेल्सियस के बीच की रेंज में होता है जो किसी दिन 480 सेल्सियस तक हो जाता है। जैसा कि इस देश का अधिकतर भाग मरूस्थली है इसलिए वहां दिन और रात के तापमान में सामान्यतः अंतर होता है। खारटोम शहर में जनवरी के महीने में दिन का उच्च तापमान 270 सेल्सियस और रात में तापमान 70 सेल्सियस तक गिर जाता है।

जनसंख्या एवं संस्कृति

सूडान में विश्व की सर्वाधिक जातीय विविधता वाली जनसंख्या पायी जाती है। चार सौ से अधिक जातीय समूहों की अपनी भाषा है जिसका प्रयोग वे अरबी जैसी व्यापार भाषा के साथ करते हैं। इस जनसंख्या के दो बड़े समूह हैं, मुस्लिम लोग उत्तर में रहते हैं और अश्वेत लोग दक्षिण में रहते हैं। अकाल और युद्ध के कारण लगभग तीन मिलियन दक्षिणी हिस्से के लोग उत्तर में रहने लगे, जो कि अब देश की जनसंख्या की 75% आबादी का घर बन चुका है। ग्रेटर खारटोम, देश का सबसे बड़ा शहर है जिसकी आबादी छः मिलियन है। सूडान की वर्तमान जनसंख्या 35 मिलियन है।

खान-पान

मुख्य खाद्य पदार्थ जैसे मांस, नदी की मछली, अंडे और दूध (यदि बोतल में न हो तो उबाला जाए), वर्ष भर उपलब्ध रहते हैं। केले, संतरे, अंगूर, आम, खरबूजे और खजूर जैसे फल विशेष ऋतु में ही उपलब्ध होते हैं और अन्य किस्म के फलों (सेब, खुमानी आदि) का आयात किया जाता है। जबकि आयात किए गए विभिन्न डिब्बाबंद भोजन सरकारी ड्यूटी-फ्री दुकानों और निजी राशन की दुकानों पर उपलब्ध हैं, जो कि सरकारी दुकानों की तुलना में महंगा है। अन्य खाद्य पदार्थों को आयात करना पड़ता है। खारटोम शहर के पानी का ट्रीटमेंट किया जाता है। जबकि, नल के पानी को छान कर अथवा उबाल कर उपयोग करने की सलाह दी जाती है। बोतल बंद मिनरल पानी को स्थानीय रूप से तैयार किया जाता है जो कि बाजार में 1.5 लीटर पानी एस डी 100 के मूल्य पर उपलब्ध है। बिना उबला खाना नहीं खाना चाहिए।

सरकार

सूडान की सरकार की सही तस्वीर देना मुश्किल काम है। सैद्धांतिक रूप से सूडान, छब्बीस राज्यों का संघीय गणराज्य है जिसका नेतृत्व सीधे चुने गए राष्ट्रपति करते हैं जो कि राष्ट्रीय असेम्बली के साथ काम करते हैं। सूडान का नेतृत्व राष्ट्रपति फील्ड मार्शल उमार अल-बशीर द्वारा किया जाता है। वर्ष 1989 से वे राष्ट्रीय असेम्बली की अध्यक्षता कर रहे हैं।

युद्ध

उत्तरी और दक्षिणी सूडान के बीच गृह युद्ध की शुरुआत 1984 में हुई जब सूडानी पीपुल्स लिब्रेशन आर्मी का गठन हुआ और खारटोम सरकार के साथ युद्ध आरंभ हुआ। दक्षिण सूडान, खारटोम सरकार का समर्थन नहीं करता जो कि संपूर्ण राष्ट्र पर परंपरागत इस्लामी नियमों को थोपने का प्रयास करती है। उत्तरी सूडान इस युद्ध को उन काफिरों के विरूद्ध पवित्र युद्ध मानता है जो ‘वास्तविक आस्था’ के लिए खतरा हैं। उत्तर और दक्षिण के बीच ये युद्ध सदियों से चला आ रहा है जिसमें नरसंहार हो रहा है। लेकिन यह युद्ध केवल उत्तर और दक्षिण सूडान के बीच ही नहीं है, बल्कि दक्षिणी जनजातियों के बीच भी लड़ाइयां आम बात है। सूडान में युद्ध लगभग दैनिक जीवन का हिस्सा है, लेकिन संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप के बाद स्थिति सामान्य होने लगी है। वर्तमान समय में संभावित स्थानीय खतरों में सूडान सरकार के साथी आतंकवादी, एस पी एल ए, गैर-दलीय सैन्य समूहों, विदेशी सैन्य समूह, अपराधिक तत्व और लैंड माइन्स की हिंसक गतिविधियां शामिल हैं। यह समझना आवश्यक है कि ये खतरे संक्रमण प्रक्रिया और संक्रमण (जनमत संग्रह तथा जनमत संग्रह के बाद) के बाद की अवधि के दौरान महत्वपूर्ण रूप से बदल सकते हैं।

सूडान का इतिहास

सूडान का इतिहास ईसा पूर्व हजारों वर्ष पुराना है और यह लगभग उतना ही पुराना है जितना कि नील नदी। प्राचीन टेस्टामेंट क् कुश साम्राज्य वर्तमान उत्तरी सूडान में था और हजारों वर्षों से मिस्र और सूडान में नील की तरह यह सत्ता का केन्द्र रहा। छठी शताब्दी में सूडान में ईसाई धर्म का उदय हुआ। तेरहवीं शताब्दी में इस्लामी जीत तक औपचारिक रूप से ईसाई धर्म रहा, इसके बाद भी बहुत से लोगो ने पंद्रहवीं अथवा सोलहवीं शताब्दी तक अपनी आस्था को रखा। ऑटोमन साम्राज्य के इस्लामी शासकों के नेतृत्व में 1880 तक कई सदियों तक देश का शासन चला, तब ब्रिटिशों ने मिस्रवासियों के साथ मिल कर सूडान का नियंत्रण अपने हाथ में ले लिया। यह जीत नदी के नियंत्रण का प्रयास करने के साथ-साथ महडिस्ट इस्लामी क्रांति के विरूद्ध प्रतिक्रिया भी थी जिसे क्षेत्र की स्थिरता के लिए संभव खतरे के रूप में देखा गया।

19 दिसंबर 1955 को संसद ने एकजुट होकर मत दिया कि सूडान को पूर्णतः स्वतंत्र संप्रभु राष्ट्र बनना चाहिए। 1 जनवरी 1956 को ब्रिटिश और मिस्र के जत्थों ने सूडान को छोड़ दिया, उसी दिन पांच सदस्यीय राज्य परिषद नियुक्त की गई जिसने नया संविधान आने से पहले गवर्नर (जनरल) की शक्तियां संभाली। वर्ष 1956 से 1989 तक कई सरकारों ने देश पर शासन करने का प्रयास किया लेकिन अक्सर आने वाले सूखे और उत्तर और दक्षिण सूडान के बीच निरन्तर संघर्ष के चलते वे सरकारें ढह गईं।

वर्ष 1989 में तख्ता पलट होने से सेना के हाथ में शासन आ गया जिसका नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल उमर हसन अहमद अल-बशीर कर रहे थे जिस पर राष्ट्रीय इस्लामिक फ्रंट का नियंत्रण था जिसका नेतृत्व हसन अल तुराबी के हाथ में था जो कि 400 सीट वाली राष्ट्रीय असेम्बली के स्पीकर थे। दोनों पक्षों के बीच शांति स्थापना समझौता कराने के अंतरराष्ट्रीय प्रायोजित प्रयास जैसे अंतरसरकारी प्राधिकारी विकास प्रायोजित समझौतों ने वर्ष 2002 तक बहुत ही कम प्रगति की, यद्धपि सरकार, और एस पी एल एम/ए वर्ष 1997 में सिद्धांतो के घोषणापत्र पर सहमत हुए। सिद्धांतो के घोषणापत्र में यह माना गया कि सूडान की एकता को प्राथमिकता दी जाए, बशर्ते सामाजिक और राजनीतिक प्रणाली, धर्मनिरपेक्ष और लोकतांत्रिक हो और संसाधनों को समान रूप से साझा किया जाए। इन सिद्धांतो के न होने से दक्षिण सूडान के पास जनमत संग्रह के माध्यम से आत्म-निर्णय का अधिकार होगा।

नवइशा संधि पर नवइशा, केन्या में 25 सितंबर 2003 में हस्ताक्षर हुए। पूर्व अंतरिम और अंतरिम 6 ½ वर्ष की अवधि में एस ए एफ और एस पी एल ए अलग हो जाएंगे। संयुक्त एकीकरण यूनिट का गठन किया जाएगा। संयुक्त रक्षा बोर्ड की एस ए एफ और एस पी एल ए के सेनाध्यक्षों द्वारा बारी-बारी से अध्यक्षता की जाएगी। 2 वर्ष के बाद एस ए एफ और एस पी एल ए शेष सेना बल को भी हटा लेंगे। किसी भी दल से जुड़े बलों को उन बलों में शामिल होने का अवसर दिया जाएगा अथवा उन्हें सिविल सर्विस में शामिल किया जाएगा। सभी संधियों को व्यापक शांति संधि से 09 जनवरी 2005 को प्रभाव से लागू किया जाएगा। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद ने सूडान में शांति स्थापना के लिए 24 मार्च 2005 को प्रस्ताव सं0 1590 पारित किया।

बचाव और सुदृढ़ीकरण

अबेई लगभग 120 मील की दूरी पर कदग्ली के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। उत्तर और दक्षिण के बीच संघर्ष विराम की रेखा के स्थान पर और तेल के बड़े भंडार की खोज के कारण, यह सूडान में दो युद्धरत दलों के बीच विवाद का कारण रहा है। आईएसी अबई में नियमित रूप से उड़ान भरती है जहां सेक्टर मुख्यालय अबेई शहर के निकट संयुक्त राष्ट्र के शिविर में स्थित है। हालांकि अभी तक उड़ान वातावरण शांतिपूर्ण रहा है, अबेई एक संवेदनशील क्षेत्र है और मामूली जनजातीय संघर्ष और सड़क बंद होने के कारण अतिरिक्त हवा के प्रयास की आवश्यकता होती है।

• 14 मई 08 को, एक मामूली झड़प का सामना करना पड़ा और सूडान पीपुल्स लिबरेशन आर्मी (एसपीएलए) और सरकार की सुदानीस सशस्त्र बलों (एसएएफ) के बीच अबेई शहर भर में घमासान लड़ाई हुई। इस लड़ाई तेज हो गई और इसमें मध्यम मशीन बंदूकें और मोर्टारों का प्रयोग हुआ था। एक आईएसी हेप्टर, जो एक नियमित यात्री सवारी पर अबेई गए थे फंसे हुए थे और बाद में वहां के संयुक्त राष्ट्र असैनिक कर्मचारियों को वहां से बाहर निकालने का काम सौंपा गया था क्योंकि गोलीबारी में फंसे थे। सुरक्षा स्थिति और फायर की दिशा का आकलन करने के बाद, बेस के परामर्श से, चालकक्रू ने सुरक्षित निकलकर साथियों के साथ चले गए। इसके बाद एक ही हेलीकाप्टर के लिए एक ही शाम का अनुरोध किया गया, जो अबेई में जमीन की आग से बचने और रात में संयुक्त राष्ट्र के अधिक कर्मचारियों को निकालने के लिए निकल गए इससे संयुक्त राष्ट्र के अधिकारी अति प्रसन्न हुए । यूएन के सिविलियनों को निकालने का इस तरह का अभियान सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन में पहली बार पूरा किया गया है।

• अगले दिन, आईएसी अबेई में सात और उड़ानें भरी, इस तरह हर समय छिटपुट फायरिंग के बीच कुल 109 संयुक्त राष्ट्र कार्मिकों को बाहर निकाला गया, इस तरह हेलीकॉप्टरों तथा यात्रियों की सुरक्षा सुनिश्चित की गई। दिन के अंत तक फायरिंग समाप्त हो गई थी और युद्धरत समूहों को वार्ता के लिए लाया जा रहा था, ताकि शांति कायम हो सके।

• खराब मौसम के चलते 16 मई 08 को, नियमित प्रतिबद्धताओं को एबिया में रोकना पड़ा किया गया था। खराब मौसम की वजह से उनका कार्य अनिर्धारित रात को रोक दिया गया था, वह फिर से कुछ भारी फायरिंग से बाधित हुआ था, जो फिर से शुरू हो गया। यूएन द्वारा संयुक्त राष्ट्र के शेष कार्मिकों को निकालने का काम चालक दल का था क्योंकि युद्ध तीव्र था और संयुक्त राष्ट्र के शिविर को खतरा हो गया था। रास्ते में खराब मौसम के चलने के कारण यह निर्णय लिया गया कि अगले दिन सुबह में लोगो को बाहर निकाला जाएगा। अबेई से सभी संयुक्त राष्ट्र के असैन्य कर्मचारियों को निकालने के बाद, संयुक्त राष्ट्र के शिविर को अतिरिक्त सैनिकों के साथ मजबूत बनाने की आवश्यकता है। संयुक्त राष्ट्र ने फिर से फ्लाइंग फोर्स रिजर्व बटालियन टुकड़ी के लिए आईएसी से मदद मांगी। यह चार हेप्ट्रा स्पेशल हैलीबोर्ने ऑपरेशन में किया गया था जिसमें 60 पूरी तरह से सशस्त्र सैनिकों को अपने उपकरण और आपूर्ति के साथ दक्षता, चुपके और गति के साथ एक सटीक समय पर ऑपरेशन में शामिल किया गया था और इस मिशन में प्रमुख विमानों में सीओओ / सीओ शामिल था।

• सूडान में संयुक्त राष्ट्र मिशन संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के अध्याय 7 (शांति प्रवर्तन) अधिदेश के तहत काम करना था, लेकिन अब तक यह अध्याय 6 (शांति रखने) के तहत काम कर रहा है। यह पहली बार है कि यूएन हेप्टर्स को गोलीबारी की धमकी के अंतर्गत शत्रुतापूर्ण हेलीपैड पर काम करना पड़ा है और यह सूडान में आपातकालीन निकासी / सेना के पुनर्बलन में शामिल है। यह उल्लेखनीय है कि पहली बार यूएन को आश्वस्त किया गया था कि यात्रियों को आंतरिक ईंधन टैंक के साथ ले जाना चाहिए क्योंकि यह हेलीपैड्स पर जमीन का समय कम कर देता है और हेलीकाप्टरों की सीमा बढ़ाता है। इस प्रकार संयुक्त राष्ट्र के हेलीकॉप्टरों में आंतरिक ईंधन टैंक के साथ यात्रियों के परिवहन की एक मिसाल कायम की गई है। मिशन की विस्तृत रिपोर्ट अनुबंध 1 में रखी गई है। अबई का संक्षिप्त विवरण- अबई में समस्या की उत्पत्ति और वर्तमान स्थिति, अनुलग्नक I पर रखी गई है।

• 14 मई 08 और 17 मई 08 के बीच आईएसी द्वारा पूरा किए गए मिशन, जिसमें संयुक्त राष्ट्र के सभी सिविल कर्मचारियों को अबेई से सुरक्षा में ले जाया गया है और पुनर्बलन को शामिल किया गया है, यूएन फोर्स मुख्यालय में उच्चतम क्वार्टर द्वारा इसकी प्रशंसा की गई है। एयरक्रू ने अपने व्यावसायिकता, बहादुरी और कर्तव्य की भावना के लिए कोई अन्य नहीं बल्कि फोर्स कमांडर से पुरस्कार प्राप्त किया था जो कि व्यक्तिगत रूप से बधाई देने के लिए और भारतीय वायु सेना द्वारा बहादुर प्रयास के लिए उनकी प्रशंसा के लिए आए थे। भारतीय वायु सेना ने भी संयुक्त राष्ट्र के कई कर्मचारियों का आभार प्राप्त किया, जिन्हें अबेई की संकटग्रस्त टीम साइट से निकाला गया था।

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